दलितो और ठाकुरो के बीच संघर्ष, क्या हैं यूपी के लिये संकेत

सहारनपुर: उत्तरप्रदेश में जातीय संघर्ष की खबरे मिलती रहती हैं, पर पिछ्ले कुछ दिनो में इन जातिगत संघर्षो और सम्प्रदायिक घटनाओ की जैसे बाढ सी आ गई है. अगर यूपी से मिलने वाली खबरो पर यक़ीन किया जाये तो यूपी में जतिगत भेद्भाव और संघर्ष की मुख्य वजह ये है, कि वहाँ पर नवयुवाओ में जातिगत भावनाओ और साम्प्रदयिक सोच अपनी गहरी जडे जमा लिया है. इस बार सहारनपुर से ठाकुर और दलित संघर्ष का मामला सामने आया है संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब शिमलाना गाँव से ठाकुर समुदाय ने महाराणा प्रताप की जन्मतिथि को मनाते हुए एक यात्रा निकालनी शुरू की.

लेकिन जब ये यात्रा शबीरपुर गाँव में पहुची तब किसी बात पर ठाकुर और दलित समुदाय में कहासुनी हो गयी .मामला इतना बिगड़ गया कि दोनों समुदाय में पथराव शुरू हो गया. संघर्ष में एक ठाकुर नौजवान की मौत हो गयी जिसके बाद शबीरपुर गाँव में आसपास के ठाकुर जुटना शुरू हो गये और फिर भीड़ ने पच्चीस दलित घरो में आग लगा दी.

मामले जानकारी होते ही जब पुलिस घटनास्थल पर पहुची फिर ठाकुर समुदाय ने पुलिस पर भी पथराव किया जिसमे एक सब इंस्पेक्टर घायल हो गया.पुलिस के अनुसार ,अब हालात काबू में है गाँव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया.

इससे पूर्व कई ऐसी घटनाओ की भी खबर मीडीय से मिली है, जिसमें दलित एवम पिछडी जातियो के लोगो को कुछ लोग यह कहकर धमकाते नज़र आये कि अब तुम्हारा राज खत्म हो चुका, अब हमारी सरकार है यूपी में.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने के बाद से ही यूपी में  सुशासन की बात पर ज़ोर दिया है, देखना ये है कि अब जबकि उनके कार्यकाल मे जातीय और साम्प्रदायिक हिंसाओ की शुरुआत हो चुकी है, कैसे कंट्रोल करेगी योगी सरकार ?

ज्ञात हो उत्तरप्रदेश जातीय भेदभाव और साम्रदायिक तनाव के लिये देश में सबसे बदनाम राज्यो में से एक है, अब देखना ये है कि क्या अल्पसंख्को और दलितो को निशाने पर लेकर की जाने वाली हिंसाओ पर रोक लगेगी या फिर वही सब होगा, जिसके लिये उत्तरप्रदेश बदनाम तो था ही, अब और बदनाम होता जा रहा है.

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