मंच के चारों ओर खाईं – यह भी पहली बार ही है मित्रों

महाराष्ट्र में नरेंद्र मोदी किसानों की एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं। लेकिन कोई किसान मंच तक न पहुंच पाये उसके लिये मंच के आगे तीनों तरफ छः फुट का गड्ढा खोदा गया है। इसे पानी से भर दिया जाएगा। जहां सूखे से महाराष्ट्र तबाह है, सबसे अधिक आत्महत्याएं जहां हो रही हों, पीने का पानी भी मुश्किल से उपलब्ध है, वहां 6 … पढ़ना जारी रखें मंच के चारों ओर खाईं – यह भी पहली बार ही है मित्रों

प्रेस की आज़ादी के इंडेक्स में हम थोड़ा और लुढ़के

जहां प्रेस कभी एक मिशन रहा हो और, लोकमान्य तिलक के केसरी, महात्मा गांधी का यंग इंडियन, गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रताप जैसे अखबारों ने ब्रिटिश साम्राज्य की कभी नींद हराम कर रखी हो, जिस देश की संस्कृति में ईश्वर की आलोचना और निंदा को कभी किसी अपराध की श्रेणी में न रखा गया हो, आज़ादी की लड़ाई के दौरान, जहां तमाम अखबारों ने देश … पढ़ना जारी रखें प्रेस की आज़ादी के इंडेक्स में हम थोड़ा और लुढ़के

नज़रिया – हाफ़िज़ सईद और प्रज्ञा ठाकुर में क्या है समानता ?

अभी पिछले साल ही ( 2018) में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में चुनाव हुए थे। पाकिस्तान में हुए उन चुनावों में सबकी नज़र कुछ खास सवालों के जवाब ढूंढ रही थी। पहला सवाल ये था, कि क्या इमरान खान क़ामयाब हो पाएंगे ? जिसका जवाब हमें बख़ूबी मिला और इमरान खान पाकिस्तान के सर्वोच्च पद पर पहुंच गए। इन्हीं चुनावों में एक चीज़ और हुई कि … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – हाफ़िज़ सईद और प्रज्ञा ठाकुर में क्या है समानता ?

इंस्पायरेशनल स्टोरी – पिता की है सब्ज़ी की दुकान, बेटे ने जीता स्वर्ण पदक

वाराणसी  – गरीबी बदहाली को मात देकर सब्जी बेचने वाले के बेटे ने नया मुकाम हासिल किया है, कामयाबी की शानदार हिस्ट्री लिखी…”गले में गोल्ड मेडल डालकर घर पहुंचे तो परिवार खुशी से झूम उठा लोगों ने भी इस बेटे का शानदार स्वागत किया। विशाल की शानदार कामयाबी के लिए उसे सम्मानित करने और नगद पुरस्कार, सरकारी नौकरी देने की मांग उठाई।” विशाल जब घर … पढ़ना जारी रखें इंस्पायरेशनल स्टोरी – पिता की है सब्ज़ी की दुकान, बेटे ने जीता स्वर्ण पदक

पिछले पाँच सालो में 5 लाख 55,603 करोड़ रूपये के लोन को बट्टे खाते में डाला गया है

मोदी समर्थको का सबसे बड़ा इल्जाम पिछली UPA सरकार पर यह होता है कि उनके समय ही सारे कर्ज उद्योगपतियों को बांटे गए जो आज डूब रहे है. लेकिन कल एक बेहद दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है. आरबीआई ने बताया है कि पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ. यानी उद्योगपतियों द्वारा न चुकाए गए क़र्ज़ को … पढ़ना जारी रखें पिछले पाँच सालो में 5 लाख 55,603 करोड़ रूपये के लोन को बट्टे खाते में डाला गया है

राममंदिर – सौगंध से संभावना तक – एक वायदे की कथा

6 दिसंबर 1992 में जब उन्मादियों की भीड़ ने अयोध्या में जब एक पुरानी इमारत गिरायी थी तो उसमें राम विराजमान थे और उनकी पूजा चल रही थी। इमारत ज़मीदोज़ होती है और उन्मादित भीड़ रामलला के छोटे से विग्रह को उसी कदीम इमारत के मलबे में छोड़ कर भाग जाते हैं। मौके पर तैनात पुलिस के लोग पुजारी की मदद से रामलला को शाम … पढ़ना जारी रखें राममंदिर – सौगंध से संभावना तक – एक वायदे की कथा

लोकसभा चुनाव 2019 – पुलवामा हमले के शहीदों के नाम पर वोट मांगना निंदनीय है

प्रधानमंत्री जी, क्या पुलवामा हमला आप की एक उपलब्धि है या बड़ी सुरक्षा चूक ? अगर चूक है तो फिर किसी सुरक्षा चूक के नाम पर जिसमें 44 जवान शहीद हो गए हैं आप क्यों वोट मांग रहे हैं ? और अगर इसे आप अपनी उपलब्धि समझते हैं तो और बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जनसभा रैली को संबोधित करने मंगलवार … पढ़ना जारी रखें लोकसभा चुनाव 2019 – पुलवामा हमले के शहीदों के नाम पर वोट मांगना निंदनीय है

नज़रिया – क्या यह बीमार होते हुये समाज का लक्षण नहीं है

उनका इरादा साफ है। जब तक पाकिस्तान रहेगा तब तक वे देश मे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार आदि जनहित के मुद्दों पर कुछ नहीं करेंगे। न तो वे कोई बात करेंगे और न उनके समर्थक इन मुद्दों पर कोई सवाल उठाएंगे। विरोधी उठाते रहें सवाल और पूछते रहें जो भी मन हो, उससे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। ऐसी मानसिकता उनकी बन गयी है। … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – क्या यह बीमार होते हुये समाज का लक्षण नहीं है

आखिर 2019 में मोहन भागवत चुप क्यों हैं?

आरएसएस ने अपने काडर को तो चुनाव में लगाया हुआ है लेकिन खुद मोहन भागवत और उनके नंबर टू भैयाजी जोशी चुनाव की घोषणा के बाद से ठंडी सांस खींचे हुये हैं. भागवत का आखिरी बयान बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद फरवरी के तीसरे सप्ताह में आया था और तब से शांत हैं. 2014 के चुनाव की याद करें तो मतदान के कई सप्ताह पहले … पढ़ना जारी रखें आखिर 2019 में मोहन भागवत चुप क्यों हैं?

क्या आपको अमित शाह की पर्सनल भाजपा के बारे में पता है ?

Assocation of Billion Minds, ABM, यह वो संगठन और नेटवर्क है जो बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह की पर्सनल टीम की तरह काम करती है। बीजेपी अपने आप में एक विशाल संगठन है। निष्ठावान कार्यकार्ताओं की फौज है। इसके बाद भी ABM पार्टी के समानांतर सिर्फ अध्यक्ष की मर्ज़ी से काम करने वाला ऐसा नेटवर्क है जिसके बारे में ज़्यादातर कार्यकर्ताओं को पता भी नहीं … पढ़ना जारी रखें क्या आपको अमित शाह की पर्सनल भाजपा के बारे में पता है ?

भाजपा भी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन में रह चुकी है

वायनाड से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर अनेक आरोपों के बीच एक आरोप यह भी है कि कांग्रेस का IUML मुस्लिम लीग जो केरल का एक स्थानीय दल है से गठबंधन है। अब चुनाव में जीवन से जुड़े मुद्दे चूंकि पीछे हो गए हैं और पाकिस्तान मुख्य मुद्दा के रूप में बीजेपी ने ला दिया है तो मुस्लिम लीग से गठबंधन, चांद सितारा वाला  … पढ़ना जारी रखें भाजपा भी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन में रह चुकी है

AFSPA अफस्पा कानून – इतिहास और विवाद

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि ” जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बल अधिनियम और अशांत क्षेत्र अधिनियम की समीक्षा की जायेगी।. सुरक्षा की ज़रूरतों और मानवाधिकारों के संरक्षण में संतुलन के लिए कानूनी प्रावधानों में उपयुक्त बदलाव किए जाएंगे। सशस्त्र बलों की तैनाती की समीक्षा करने, घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर अधिक सैनिकों को तैनात करने, कश्मीर घाटी में सेना और सीआरपीएफ … पढ़ना जारी रखें AFSPA अफस्पा कानून – इतिहास और विवाद

चुनावी मुद्दा बनती सेना और बिना लाइसेंस के चलता नमो टीवी चैनल

लोकसभा चुनाव 2019 देश का पहला चुनाव है जिसने दो बातें अनोखी हुयी हैं। हो तो और भी रही हैं पर जिन दो बातों का में उल्लेख कर रहा हूँ वह आज तक किसी चुनाव में नहीं हुई। एक तो नमो नाम से टीवी चैनल का प्रसारण और दूसरा सेना को चुनावी मुद्दा बनाना। क्या नमो टीवी पर चुनाव आयोग की चुप्पी, भाजपा के साथ … पढ़ना जारी रखें चुनावी मुद्दा बनती सेना और बिना लाइसेंस के चलता नमो टीवी चैनल

राजद्रोह – 1 – देशद्रोह और राजद्रोह का अंतर आईपीसी के संदर्भ से

124 A आइपीसी की धारा अपने अस्तित्व के समय से ही विवादों के घेरे में रही है। इसकी समीक्षा करते समय अक्सर एक तथ्य लोग भूल जाते हैं कि देशद्रोह और राजद्रोह दोनों ही अलग अलग विंदु हैं। देश स्थायी है और राज बदलता रहता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आज जो अध्यक्ष पीठ के दाहिने बैठ रहा है वह कल अध्यक्ष पीठ के बाएं बैठ … पढ़ना जारी रखें राजद्रोह – 1 – देशद्रोह और राजद्रोह का अंतर आईपीसी के संदर्भ से

2014 में किये वादों का क्या हुआ ?

मैं आप के साथ लोकसभा चुनाव 2014 का भाजपा का संकल्प पत्र 2014 साझा कर रहा हूँ। सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ वह चुनाव अनोखा था और उसके वादे तो और भी अलबेले थे। यह उन वादों की फेहरिस्त है। आप स्वतः तय कीजिये कि किन किन वादों का क्या हुआ और अब उन पर क्या हो रहा है। एक एक वादे … पढ़ना जारी रखें 2014 में किये वादों का क्या हुआ ?

अपराध और दंड – समझौता विस्फोट फैसले की एक समीक्षा

” मैं इस फैसले का समापन गहरे दुःख और क्षोभ से कर रहा हूँ, क्योंकि एक भयानक हिंसा से जुड़े इस मुक़दमे का अंत मुझे ज़रूरी सुबूतों के अभाव में अभियुक्तों को दोषमुक्त कर के करना पड़ रहा है । “ यह शब्द हैं पंचकूला के एनआईए जज जगदीप सिंह के जिन्होंने समझौता बम धमाके के मुक़दमे की सुनवायी की। जज की यह टिप्पणी किसी … पढ़ना जारी रखें अपराध और दंड – समझौता विस्फोट फैसले की एक समीक्षा