रोटी दोनों हाथ से पकती है और जिन लोगों को एक हाथ से रोटी पका लेने में विश्वास है उन लोगों ने योगी आदित्यनाथ का खुलकर सपोर्ट किया
और हमको लगता है कि आपसी भाईचारे की रोटी दोनों हाथ से पकती है इसलिए हम योगी आदित्य नाथ के पक्ष में खुलकर नहीं बोल सकते।
UP में भाजपा को हराने का ठेका केवल अल्पसंख्यक नहीं ले रखा था ? क्या इससे पहले यूपी की सत्ता में कोई अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री था? क्या विपक्ष में कोई मुस्लिम पार्टी थी? क्या चौधरी चरण सिंह, राम मनोहर लोहिया, एनडी तिवारी, कांशी राम, मुलायम सिंह यादव, कुमारी मायावती, और अखिलेश यादव किसी मुस्लिम समाज से आया था या फिर इसी देश के हिंदू परिवार से नेता बने,
उपरोक्त नेताओं में से कितनों ने किसी मुस्लिम को अपनी पार्टी का बड़ा नेता बना दिया?
यूपी सरकार के कैबिनेट में क्या मुस्लिम मंत्रीयों की संख्या अधिक थी? या फिर योगी सरकार से पहले ओवैसी की सरकार थी? यूपी विधान सभा में कितने ऐसे बिल ओवैसी के मंत्री मंडल ने पास किए जिससे अराजकता आ गई या फिर मुसलमानों के पास सबसे अधिक काले धन आ गए थे?
क्या यूपी सरकार में सरकारी विभाग में मुस्लिम जंसंख्या के अनूपात में अधिक सरकारी नौकरी मिल गई थी? या फिर यूपी में सरकारी ठेकों में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ गई थी?
क्या अखिलेश के चुनावी घोषणा पत्र में सबसे ज्यादा ध्यान मुसलमानों पर केंद्रित था?
यह वह सवाल हैं जो आप अपने आप से पूछिए? क्या नोटबंदी का मार जलने वाले सबसे अधिक मुसलमान ही थे हिंदू नहीं थे?
क्या दंगों में केवल या दंगों से केवल मुसलमानों की ही शांति भंग होगी? पढ़ना जारी रखें “यह एक सत्य है, कि भारतीय मुस्लिमों ने किसी मुस्लिम राजनैतिक दल को सपोर्ट नहीं किया”
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