अर्थव्यवस्था पर यशवंत सिन्हा के लेख के बाद घिरी मोदी सरकार

बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार को जमकर कोसा. अंग्रेजी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में ‘मुझे अब बोलने की आवश्यकता है’ शीर्षक से लिखे आर्टिकल में सरकार की वित्तीय नीतियों की जमकर आलोचना की.उन्होंने सरकार की डीमोनेटाइजेशन से लेकर जीएसटी पर अपनी बेबाक राय प्रकट की है. खास बात यह है कि इसी सरकार के वित्तीय विभाग में उनके … पढ़ना जारी रखें अर्थव्यवस्था पर यशवंत सिन्हा के लेख के बाद घिरी मोदी सरकार

पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या के पीछे कौन ?

दिनरात चैनल के पत्रकार शांतनु भौमिक की त्रिपुरा में हत्या में किसका हाथ? IPFT पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहा था। कल CPM के संगठन TRUGP और IPFT में झड़प हो गई। शांतनु भौमिक वही कवर कर रहे थे। IPFT के समर्थकों ने शांतनु पर हमला किया। फिर अपहरण कर लिया। पुलिस को जब घायल अवस्था में शांतनु मिले तो उन्हें अगरतल्ला के अस्पताल … पढ़ना जारी रखें पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या के पीछे कौन ?

कश्मीरी पंडितो के नाम पर क्या सिर्फ़ राजनीति होती है

1990 के दशक में जब कश्मीर में मिलिटेंसी का उभार हुआ तो कश्मीरी पंडितों को मारा गया। उन्हें जबरदस्ती कश्मीर छोड़ने को मजबूर किया गया। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक करीब 66 हजार कश्मीरी पंडितों का परिवार विस्थापित हुआ। कश्मीर में जब बीजेपी और पीडीपी की सरकार बनी तो कॉमन अजेंडा में कश्मीरी पंडित और पाकिस्तानी शरणार्थियों के पुनर्वास की बात हुई। लेकिन मोदी सरकार … पढ़ना जारी रखें कश्मीरी पंडितो के नाम पर क्या सिर्फ़ राजनीति होती है

आप कैसे कह सकते हैं, कि कोई विरोध न हो

केसे विरोध न हो… कैसे कोई विरोध न हो,विरोध करता हूँ आपका,आपकी राजनीति का, तो क्या आप टेढ़ी आंखों से देखेंगे मुझे? लेकिन क्यों क्या आप विरोध को खत्म कर देना चाहते है? क्या आप “विपक्ष” को खत्म कर देना चाहते हो? अगर विरोध ही न होगा तो फिर कैसे समाज मे “मार्क्स” पैदा होगा? फिर केसे समाज में “लेनिन” होगा? कैसे? वही मार्क्स ,वही … पढ़ना जारी रखें आप कैसे कह सकते हैं, कि कोई विरोध न हो

क्या कोई है, जो सुनेगा किसानों की व्यथा

हमारे देश की 80 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से  कृषि से जड़ी हुयी है.आज किसानों  की आत्महत्या करना इस देश के खास लोगों के बीच में आम सा हो गया है. कोई भी किसान की सूध लेने वाला नहीं है.  हजारों किसान अपने हाथों से लगायी हुई फसल को उजड़ते देख अपनी जान दे चुके है. क्या  यह लोकतान्त्रिक देश के लिये शर्म की बात नहीं है. शास्त्री … पढ़ना जारी रखें क्या कोई है, जो सुनेगा किसानों की व्यथा

सजन रे झूठ मत बोलो, पेट्रोल पंप पर जाना है,

पेट्रोल के दाम बढ़ने पर सरकारी बयानो में जो वजह बताई गई है, उसके बाद वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट कर कुछ सवाल उठाये गए. देखें,रविश कुमार की फ़ेसबुक पोस्ट- पेट्रोल के दाम 80 रुपये के पार गए तो सरकार ने कारण बताए। लोककल्याणकारी कार्यों, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ख़र्च करने के लिए सरकार को पैसे चाहिए। व्हाट्स अप यूनिवर्सिटी और … पढ़ना जारी रखें सजन रे झूठ मत बोलो, पेट्रोल पंप पर जाना है,

क्या मध्यमवर्गीय और गरीबो को लेकर असंवेदनशील हो चुकी है सरकार

अब मोदी सरकार के मंत्री पूरी तरह से बेशर्मी पर उतर आए हैं आज केन्द्रीय पर्यटन मंत्री अल्फोंज कन्ननाथनम ने कहा है कि जो लोग पेट्रोल डीजल खरीद रहे हैं वो गरीब नहीं है और ना ही वो भूखे मर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकार को गरीबों का कल्याण करना है, और इसके लिए पैसे चाहिए यानी देश के मध्यम वर्ग पर पेट्रोल … पढ़ना जारी रखें क्या मध्यमवर्गीय और गरीबो को लेकर असंवेदनशील हो चुकी है सरकार

क्या है तेल कीमतो का खेल

2009 में शाहिद कपूर की एक फिल्म आई थी ‘कमीने’…उसी फिल्म के एक गाने के बोल थे- आजा आजा दिल निचोड़े, रात की मटकी फोड़े, कोई गुडलक निकाले, आज गुल्लक तो फोड़े, है दिल दिलदारा मेरा तेली का तेल, कौड़ी कौड़ी पैसा पैसा पैसे का खेल, चल चल सड़कों पे होगी ठैन ठैन डैन टड़ैन…डैन टड़ैन…डैन टड़ैन…   ऐसा ही ‘तेली का तेल, कौड़ी कौड़ी … पढ़ना जारी रखें क्या है तेल कीमतो का खेल

पेट्रोल का भाव 83.32 रुपये प्रति लीटर ?

देशभर में पैट्रोल की बढ़ती कीमतों के बाद रविश कुमार ने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक पोस्ट करके इस भयावह स्थिति से अवगत कराते हुये, विपक्ष की खामोशी पर भी सवाल उठाया है.दरअसल जबसे रोज़ पैट्रोल डीज़ल की कीमत तय हो रही हैं,तबसे पैट्रोल की बढ़ती कीमतों का आमजन को अहसास ही नहीं हो रहा है. देखें रविश कुमार ने क्या कहा है अपनी फ़ेसबुक … पढ़ना जारी रखें पेट्रोल का भाव 83.32 रुपये प्रति लीटर ?

हिंदी से ये हिकारत क्यों?

हमारी महान मातृभाषा हिंदी हमारे अपने ही देश हिंदुस्तान में रोजगार के अवसरों में बाधक है। हमारे देश की सरकार का यह रुख अभी कुछ अरसा पहले ही सामने आया था। बोलने वालों की संख्या के हिसाब से दुनिया की दूसरे नंबर की भाषा हिंदी अगर अपने ही देश में रोजगार के अवसरों में बाधक बनी हुई है तो इसका कारण हमारी सोच है। हम … पढ़ना जारी रखें हिंदी से ये हिकारत क्यों?

वो 6, जो पकड़े न जा सके

हमें नहीं लगता कि दोषियों को सज़ा मिल पाएगी । अब तक जो आरोपी हैं वो पकड़े तक नहीं जा सके हैं ।” पहलू के बेटे इरशाद ने जून में जो आशंका जताई थी वो सितंबर में सही साबित हो गई । तो हुआ वही जिसका अंदेशा था । एक आदमी अपनी मौत से पहले छह लोगों के नाम पुलिस की रिपोर्ट में लिखवाता है। … पढ़ना जारी रखें वो 6, जो पकड़े न जा सके

शशि थरूर के जवाब से चारो खाने चित हुये ब्रिटिश

शशि थरूर विदेशी मामलों के जानकर के तौर पर जाने जाते है और मुख्यतः ब्रिटिश शासन पर गहरे अध्ययन के लिए. उन्होंने ब्रिटिश शासन की धज्जियां उड़ाते हुए एक पुस्तक ‘इरा ऑफ़ डार्कनेस’ के नाम से लिखी है. थरूर की अपनी फर्राटेदार अंग्रेजी के लिए जाने जाते है . और उनका अंग्रेजी उच्चारण तो कयामत सा लगता है. शशि थरूर एक विडियो इन दिनों इंटरनेट … पढ़ना जारी रखें शशि थरूर के जवाब से चारो खाने चित हुये ब्रिटिश

जब भारतीय सेना के लिये हैदराबाद निज़ाम ने खोल दिये थे खज़ाने

1965 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय पाने के बाद भारत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा ताक़तवर पड़ोसी देश चीन से था. उन हालात में भविष्य में उत्पन होने वाले ख़तरे से निपटने के लिए तात्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने National Defence Fund का गठन किया. इसके बाद भारत सरकार ने राजाओं से सहयोग की अपील की मगर देश के लिये इस मुश्किल वक़्त … पढ़ना जारी रखें जब भारतीय सेना के लिये हैदराबाद निज़ाम ने खोल दिये थे खज़ाने

क्या आप जानते हैं, संविधान में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा है “राष्ट्रभाषा” का नहीं

जब हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का मुद्दा संविधान सभा में उठा तो एक सुर में कई लोग इसका विरोध करना शुरू कर दिये, जिसमें दक्षिणी भारत से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों के सदस्य थे। और उनका विरोध वाजिब था। फिर इस तर्क के साथ हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं बनाया गया कि “आज़ाद भारत में कोई चीज़ किसी पर थोपी नहीं जा सकती है। हिंदी ज़्यादातर उत्तर … पढ़ना जारी रखें क्या आप जानते हैं, संविधान में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा है “राष्ट्रभाषा” का नहीं

क्या मुस्लिम दुश्मनी पर रोहिंग्या के नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं दक्षिणपंथी

आजकल सोशल मीडिया पर बौद्धिक आतंकवाद फैला हुआ है। बर्मा में हो रही मुस्लिम नस्लकुशी को लेकर भगवा गिरोह से जुड़े लड़के और कथित प्रगतिशील और नास्तिक भी मैदान में कूद पड़े हैं और खूब ज़हर उगल रहे हैं। भारत में रोहंगिया शरणार्थियों को ले कर तरह , तरह की आशंकाएं जता रहे हैं उलटे , सीधे तर्क दे रहे हैं। कोई लिख रहा है … पढ़ना जारी रखें क्या मुस्लिम दुश्मनी पर रोहिंग्या के नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं दक्षिणपंथी

वो जो रोहिंग्या पर हो रहे अत्याचार से खुश हैं

मानवता एक तानाबाना है। कहीं भी उधड़े, फर्क सब पर पड़ेगा। किसी पर जल्दी, किसी पर देर सवेर। धागों के उलझे लोथड़े नहीं बनकर रह जाना है तो चेत जाओ… सब पर बात करो, रोहिंग्याओं पर नहीं क्योंकि उनके आगे मुसलमान जुड़ा है, जैसे ही आपने उनके बारे में कुछ कहा, वे बॉर्डर फांदते हुए चढ़ दौड़ेंगे और आपके घरों पर कब्ज़ा कर लेंगे। पोस्ट … पढ़ना जारी रखें वो जो रोहिंग्या पर हो रहे अत्याचार से खुश हैं

रेयान स्कूल के प्रद्युम्न की हत्या से आपने क्या सीख ली

बच्चे हमारे देश व समाज का भविष्य होते है अपने भविष्य को उच्च आदर्श, नैतिकता,अच्छा स्वास्थ और मानवता के प्रति संवेदनशीलता का ज्ञान देना हमारा कर्तव्य है। बाल मन कोमल फूल की तरह होता है जिसे बेहद देखबाल की आवश्यकता होती है वो जैसा समाज में देखता है वैसा ही अपनेय जीवन में उतारता है वैसा ही आस पास के लोगो व समाज के प्रति … पढ़ना जारी रखें रेयान स्कूल के प्रद्युम्न की हत्या से आपने क्या सीख ली

किसान का धर्म

एक किसान बस किसान होता है,जब उसे मुनाफा हो तब भी किसान होता है और जब उसकी फसल बर्बाद हो जाए तब भी किसान होता है,जब उसे कर्जा मिलता है वो सिर्फ किसान होता है और फ़सल बर्बादी की वजह से वो जब कर्ज नही चुका पाता तब भी किसान होता है और तो और जब वो आर्थिक तंगी में आत्महत्या करके अपनी जीवन लीला … पढ़ना जारी रखें किसान का धर्म

सुरेश चौहाणके ने फ़िर किया फ़ेक न्यूज और पिक्स के साथ ट्विट और fb पोस्ट

सोशल मीडिया पर कई वेब पोर्टल और वेब साइट्स दिन रात झूठ गढ़ कर तथ्यों को मरोड़ कर दुष्प्रचार कर धार्मिक उन्माद भड़का कर देश का माहौल खराब करने का काम लगातार कर रहे हैं, इनमें Dainikbharat जैसे कई वेब पोर्टल्स हैं! मगर झूठ, दुराग्रह, मुसलमानो के प्रति झूठे मामले गढ़ कर दुष्प्रचार कर सौहार्द को पलीता लगाने में इन सब में आगे है सुदर्शन … पढ़ना जारी रखें सुरेश चौहाणके ने फ़िर किया फ़ेक न्यूज और पिक्स के साथ ट्विट और fb पोस्ट

जेएनयू में लाल ही क्यों लहराता है, भगवा क्यों नहीं

गुस्सा थूंको , और सुनो मेरी बात । आखिर jnu में हर बार लेफ्ट क्यों जीतते हैं ? क्योंकि वहां दाखिला परीक्षा के आधार पर होता है , और सुपठित – सुचिंतित लड़के एडमिशन पा जाते हैं । वे लड़के सुपठित इसलिए होते हैं , क्योंकि उन्होंने वास्तविक इतिहास पढा होता है । वे जानते हैं कि फ़िरोज़ गांधी मुस्लिम नहीं , अपितु पारसी था … पढ़ना जारी रखें जेएनयू में लाल ही क्यों लहराता है, भगवा क्यों नहीं