नज़रिया – राम के नाम पर इतनी ओछी राजनीति नहीं कीजिए

अगर राम आपके आदर्श हैं तो उनके नाम का इस्तेमाल आप किसी को चिढ़ाने, उकसाने के लिए कैसे कर लेते हैं? अगर आप उनमें श्रद्धा रखते हैं तो उनका नाम इतने हल्के में इस्तेमाल कैसे कर पा रहे हैं? ‘जय श्री राम’ के नारे से किसी को आपत्ति नहीं बशर्ते आप अपनी श्रद्धा से यह नारा लगा रहे हों. लेकिन अगर यही नारा आप मसखरी … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – राम के नाम पर इतनी ओछी राजनीति नहीं कीजिए

सती प्रथा के समर्थन में पायल रोहतगी का ट्वीट, मानसिक दिवालियेपन का सुबूत है

मैं अक्सर कार्टून ढूंढता हूँ और उसे सोशल मीडिया पर मित्रों के लिये  साझा करता रहता हूँ। कार्टून सबसे मारक सम्प्रेषण हैं। नावक के तीर से भी अधिक मारक। एक अच्छा और संवेदनशील कार्टूनिस्ट बिना किसी टेक्स्ट के ही सब कुछ कह देता है और ग़ालिब का कालजयी शेर याद आ जाता है, वही तीरे नीमकश वाला। अब उसे भी यहाँ पढ़ ही लीजिए। कोई … पढ़ना जारी रखें सती प्रथा के समर्थन में पायल रोहतगी का ट्वीट, मानसिक दिवालियेपन का सुबूत है

सिर्फ प्रज्ञा ठाकुर की आलोचना करना पर्याप्त नहीं है

प्रज्ञा ठाकुर की बात करते हुए खूब विवाद हुआ कि नाथूराम गोडसे को आतंकी माना जाए या नहीं. कमल हासन ने आतंकी बताया वहीं बाकी लोग उसे बस एक हत्यारा कह रहे थे. अगर हत्यारा भी मानें तो क्या हत्यारा होना ही अपने आप में बड़ा अपराध नहीं है? क्या इसके लिए आतंकी शब्द जुड़ना जरूरी है? हमारी संसद में आधे सांसदों पर क्रिमिनल चार्जेज … पढ़ना जारी रखें सिर्फ प्रज्ञा ठाकुर की आलोचना करना पर्याप्त नहीं है

नज़रिया – सूरत अग्निकांड दुःखद है और इसका दोष हम सब पर है

गुजरात के सूरत शहर में कल एक बुरा हादसा हुआ। एक कोचिंग इंस्टिट्यूट जो एक मकान की चौथी मंजिल पर है, वहां आग लग गयी और इस हादसे में 20 बच्चे, कुछ जल कर तो कुछ भवन से जान बचाने के लिये कूद कर मर गये।  मृत्यु के बाद शुरू हुआ शोक संवेदनाओं और सरकार पर लानत भेजने का सिलसिला। यह दो कार्य हम बड़ी … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – सूरत अग्निकांड दुःखद है और इसका दोष हम सब पर है

भारतीय चुनाव आयोग के समक्ष साख का संकट

कल 20 मई की रात से ही हंगामा मचा हुआ है कि यूपी और बिहार के कुछ जिलों, चंदौली, गाजीपुर, सारण और हरियाणा के फतेहाबाद में ईवीएम से लदे बिना नम्बर वाले ट्रक मतगणना स्थल के पास जहां ईवीएम रखी हुई है देखे गए हैं। शिकायतें हैं कि ईवीएम बदली जा रहीं है। अब हैकिंग संभव नहीं तो स्वैपिंग की जा रही है। लंबे समय तक चुनाव … पढ़ना जारी रखें भारतीय चुनाव आयोग के समक्ष साख का संकट

सरकार किसी की भी बने, असल मुद्दे चुनौती बनेंगे

19 मई को लोकसभा चुनाव 2019 का अंतिम चरण पूरा हो गया और परंपरा के अनुसार, सभी न्यूज़ चैनलों ने अपने अपने अनुमान के अनुसार एक्जिट पोल के नतीजे जारी कर दिये। एक्जिट पोल अनुमान होते हैं और उनका प्रमाणों से कोई सम्बंध नहीं होता है। लेकिन इस बार के चुनाव की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि यह चुनाव, सरकार जिस लिये चुनी जाती … पढ़ना जारी रखें सरकार किसी की भी बने, असल मुद्दे चुनौती बनेंगे

प्रधानमंत्री की मूक प्रेस कांफ्रेंस

कल 17 मई 2019 की प्रेस कॉन्फ्रेंस जो भाजपा मुख्यालय में आयोजित की गयी थी वह किसी भी दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं थी। वह पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस थी। अमित शाह एक बॉस की तरह उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में नज़र आये। प्रधानमंत्री उनके अधीनस्थ दिखे भी और नरेंद मोदी ने यह स्वीकार … पढ़ना जारी रखें प्रधानमंत्री की मूक प्रेस कांफ्रेंस

नज़रिया – क्या है, राहुल गांधी का भारत ?

हिना जुनी पंडित 16 मई 2014 बुरी तरह हार कर, गोरखपुर की दूसरी सीट बांस गांव से एक असफल चुनाव लड़वाकर अन्ततः में दिल्ली वापस आ गयी। वह वर्ष कई बुरी यादों को सहेजे है। जिनमें सबसे बुरी थी मेरी वजूद के बीस वर्षों में हो रहे ‘‘ध्रुवीकरण’’ को देखना और झेलना। इस ‘‘ध्रुवीकरण’’ का असर न सिर्फ चुनावी नतीजों पर पड़ा वरन् हमारे समाज … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – क्या है, राहुल गांधी का भारत ?

नज़रिया – क्या चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है ?

चुनाव आयोग द्वारा, पश्चिम बंगाल में सातवें चरण के चुनाव प्रचार का समय एक दिन घटाने का आदेश विधि विरुद्ध है। 19 मई को आखिरी चरण का चुनाव है और नियमतः 48 घन्टे पहले यानी 17 मई को सायं 5 बजे तक सभी दल चुनाव प्रचार कर सकते हैं। सातवें चरण के लिये जो अधिसूचना लागू की गयी है उसमें यही समय सीमा प्रचार के … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – क्या चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है ?

नज़रिया- यह बंगाल की अस्मिता पर हमला है

कल अमित शाह जब मध्य कोलकाता के धर्मतल्ला से उत्तरी कोलकाता में विवेकानंद के निवास तक ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के साथ रवाना हुए उसी समय यह साफ़ नजर आ रहा था कि यह चुनावी रोड शो नहीं, बंगाल के खिलाफ भाजपा का एक रण-घोष है । बंगाल की संस्कृति को पैरों तले रौंद डालने की धृष्टता का ऐलान है । जेएनयू, हैदराबाद विश्वविद्यालय … पढ़ना जारी रखें नज़रिया- यह बंगाल की अस्मिता पर हमला है

विकल्प के न होने की अवधारणा लोकतंत्र विरोधी है

लोकसभा चुनाव 2019 के छह चरण पूर्ण हो चुके हैं, और अब केवल अंतिम चरण जो 19 मई को समपन्न होगा शेष है। अभी तक जो चुनाव हुए हैं, उनके बारे में सोशल मीडिया पर अलग अलग लोग अलग अलग तरह से अपना अनुमान बता रहे हैं। चूंकि आदर्श आचार संहिता के अनुसार न्यूज़ चैनल और अखबार एक्जिट पोल के परिणाम नहीं दिखा सकते क्योंकि … पढ़ना जारी रखें विकल्प के न होने की अवधारणा लोकतंत्र विरोधी है

हम एक अवैज्ञानिक और अनाड़ी भारत बना रहे हैं

बम फोड़कर भारतवासियों की जान लेने के मुक़दमे, जेल और ज़मानत भूल जाइए, जाँबाज़ शहीद अधिकारी को श्राप से मार डालने का दावा भी भुला दीजिए। लेकिन भोपाल की कथित साध्वी गाय पर हाथ फेर कर बीपी घटाने का टोटका प्रचारित कर रही हैं? तीन बार ऑपरेशन से बचने वाली मरीज़ गोमूत्र को कैंसर का इलाज बता रही है? हम कैसा भारत बनाने जा रहे … पढ़ना जारी रखें हम एक अवैज्ञानिक और अनाड़ी भारत बना रहे हैं

नज़रिया – भारत का आधार धर्म नहीं धर्मनिरपेक्षता है

सन् 85 के बाद पैदा होने वालों के साथ एक बड़ी दिक्कत हो रही है। इनमें से अधिकतर को देश और धर्म के बीच फर्क करना नहीं आ रहा है। ये दिक्कत कश्मीर में उन लोगों के साथ भी है जो सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं, और उनके भी साथ है जो बाकी भारत में मुसलमानों को पीटते हुए भारत मां की जय बोल रहे … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – भारत का आधार धर्म नहीं धर्मनिरपेक्षता है

5वां चरण- महागठबंधन के लिए खोने को कुछ भी नहीं, जबकि पाने के लिए 3 से 5 सीट हैं

पाँचवें चरण के चुनाव के लिए शोर थमा चूका है। यहाँ 6 मई को चुनाव होने हैं। बिहार की 5 सीटों पर इस चरण में मतदान होंगे। ये सीट हैं मधुबनी , मुजफ्फरपुर , सीतामढ़ी , हाजीपुर और सारण। दोनों ही खेमों ने इन सीटों को जीतने के लिए सारी ताकत झोंक दी है। फ़िलहाल इन पाँचों सीटों पर भाजपा का ही कब्ज़ा है। इसलिए … पढ़ना जारी रखें 5वां चरण- महागठबंधन के लिए खोने को कुछ भी नहीं, जबकि पाने के लिए 3 से 5 सीट हैं

क्या नरेंद्र मोदी ने झूठ पकड़ने वाले पत्रकारों का काम बढ़ा दिया है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पत्रकारों का काम वाकई बढ़ा दिया है जो उनके झूठ पकड़ने लायक पढ़े लिखे हैं। बाकी तो ‘हर हर मोदी’ के जप में व्यस्त हैं और एक दिन मनोवांछित वरदान की अपेक्षा रखते हैं। सोचा था कि नेहरू के खिलाफ दुष्प्रचार के खिलाफ आज कुछ आपके काम का लिखूं लेकिन फिर मालूम पड़ा कि अफवाहबाज़ी के उस्ताद मोदी जी ने … पढ़ना जारी रखें क्या नरेंद्र मोदी ने झूठ पकड़ने वाले पत्रकारों का काम बढ़ा दिया है?

मालेगांव धमाके की मुल्जिम प्रज्ञा ठाकुर के बयान जा रहे बीजेपी के खिलाफ

अपने ‘राष्ट्रवाद’ में शहीदों और उनकी शहादत का खासा ख्याल करने वाली बीजेपी के लिए यह असहज होने का मौका था, जब उसे देश के लिए जान देने वाले एक शहीद के मुद्दे पर ही घिर जाना पड़ा । विपक्षी दलों के नेता शहीद के अपमान को मुद्दा बनाकर बीजेपी पर तीखे वार करते नजर आए। मामला, भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर … पढ़ना जारी रखें मालेगांव धमाके की मुल्जिम प्रज्ञा ठाकुर के बयान जा रहे बीजेपी के खिलाफ

अगर आज राम खुद बनारस में नरेंद मोदी जी के खिलाफ चुनाव में खड़े होते तो ?

प्रेम प्रकाश जी वरिष्ठ पत्रकार हैं और मेरे मित्र हैं। कम लिखते हैं पर लाजवाब लिखते हैं। उनकी एक रोचक लेख नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ। उसे पढ़ने के पहले मेरी यह बात भी पढ़ लीजिएगा। प्रेम प्रकाश जी ने कल्पना की है कि अगर भगवान राम स्वतः 29 तारीख को आ कर बनारस कचहरी में लोकसभा चुनाव के संदर्भ में अपना पर्चा दाखिल कर … पढ़ना जारी रखें अगर आज राम खुद बनारस में नरेंद मोदी जी के खिलाफ चुनाव में खड़े होते तो ?

बढ़ रही है “क़ानून के उल्लंघन” की आदत

हाल ही के दिनों में एक और प्रवित्ति जड़ जमा रही है और वह प्रवित्ति है कानून के प्रति अवज्ञा का भाव। सरकार अमूर्त होती है और वह अहर्निश गतिशील रहती है। सरकार से यहां मेरा आशय प्रधानमंत्री या मंत्रिमंडल से नहीं बल्कि उस तंत्र से है जो विभिन्न नियमों और कानूनों के अनुसार सदैव चलता रहता है। जिन कानूनों के आधार पर सरकार गतिशील … पढ़ना जारी रखें बढ़ रही है “क़ानून के उल्लंघन” की आदत

मंच के चारों ओर खाईं – यह भी पहली बार ही है मित्रों

महाराष्ट्र में नरेंद्र मोदी किसानों की एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं। लेकिन कोई किसान मंच तक न पहुंच पाये उसके लिये मंच के आगे तीनों तरफ छः फुट का गड्ढा खोदा गया है। इसे पानी से भर दिया जाएगा। जहां सूखे से महाराष्ट्र तबाह है, सबसे अधिक आत्महत्याएं जहां हो रही हों, पीने का पानी भी मुश्किल से उपलब्ध है, वहां 6 … पढ़ना जारी रखें मंच के चारों ओर खाईं – यह भी पहली बार ही है मित्रों

नज़रिया – हाफ़िज़ सईद और प्रज्ञा ठाकुर में क्या है समानता ?

अभी पिछले साल ही ( 2018) में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में चुनाव हुए थे। पाकिस्तान में हुए उन चुनावों में सबकी नज़र कुछ खास सवालों के जवाब ढूंढ रही थी। पहला सवाल ये था, कि क्या इमरान खान क़ामयाब हो पाएंगे ? जिसका जवाब हमें बख़ूबी मिला और इमरान खान पाकिस्तान के सर्वोच्च पद पर पहुंच गए। इन्हीं चुनावों में एक चीज़ और हुई कि … पढ़ना जारी रखें नज़रिया – हाफ़िज़ सईद और प्रज्ञा ठाकुर में क्या है समानता ?