फ़िल्म समीक्षा – हैदर के बचपन की कहानी है ” हामिद “

बचपन उम्र से तय होता है। बचपना कई सवालों की खोज होता है। मनोविज्ञान हमेशा ‘तलाश’ शब्द के इर्द गिर्द घूमती है। जो चीजें समझ नहीं आती बचपन उसके पीछे बेतरतीब हो कर भागता है। एक जवाब ढूंढते ही दूसरे सवाल के जवाब की तलाश में बचपना खोया रहता है। हामिद एक ऐसे कश्मीरी बच्चे की कहानी है। यहाँ शायद ‘एक’ कहना गलत होगा दरअसल … पढ़ना जारी रखें फ़िल्म समीक्षा – हैदर के बचपन की कहानी है ” हामिद “

समीक्षा – निष्पक्ष नहीं है ठाकरे पर बनी फ़िल्म, छुपाये गए हैं कई सत्य

शिवसेना का सांसद ही शिवसेना के संस्थापक पर फिल्म लिखेगा तो उससे आप कितना निष्पक्ष रहने की उम्मीद करेंगे? तो बस, संजय राउत ने बाल ठाकरे के नाम पर जो एक ‘पृथ्वीराज रासो’ रच दिया है उसी का नाम फिल्म ‘ठाकरे’ है, मगर फिल्म बनाने वालों से एक गफलत हो गई। पूरी फिल्म में ठाकरे के जीवन वृत्त से जो संदेश प्रसारित होता है वो … पढ़ना जारी रखें समीक्षा – निष्पक्ष नहीं है ठाकरे पर बनी फ़िल्म, छुपाये गए हैं कई सत्य

समीक्षा – समाज को बांटने वाली सोच पर गहरा वार करती है “मुल्क”

जब हम ‘मुल्क’ देख कर बाहर निकले, तो हमारे एक मित्र ने कहा कि ‘मुल्क’ जो बात कहती है, वह पूरे आत्मविश्वास के साथ आज का हिंदुस्तानी मुसलमान कहने की स्थिति में नहीं है। ‘मुल्क’ क्या कहती है? ‘मुल्क’ कहती है कि कोई मुसलमान अपनी देशभक्ति प्रमाणित कैसे करे? क्यों करे? वह ख़ुद पर चस्पां कर दिये गये आतंकवादी कौम के चक्रव्यूह को तोड़ने के … पढ़ना जारी रखें समीक्षा – समाज को बांटने वाली सोच पर गहरा वार करती है “मुल्क”

क्या ‘परमाणु’ फिल्म का उद्देश्य NDA सरकार का विज्ञापन है ?

कोई भी इमारत तब तक खड़ी नहीं होती, जब तक नींव की ईंटें मज़बूती से न डाली जाएं। लेकिन तेरे बिन लादेन वाले अभिषेक शर्मा की ‘परमाणु’ भारत के पूर्ववर्ती परमाणु अभियानों पर मिट्टी डालते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक़्त 1998 में किये गये पोखरण विस्फोटों का नारा बुलंद करती है। यह उस इतिहास को डिस्क्रेडिट (बदनाम) करना है, जिसमें होमी जहांगीर भाभा … पढ़ना जारी रखें क्या ‘परमाणु’ फिल्म का उद्देश्य NDA सरकार का विज्ञापन है ?