रामनवमी की रैली निकाल रहे लोग बम कहाँ से लाये?

रामनवमी के जुलूस के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से सांप्रदायिक हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. बिहार के बाद अब बंगाल से भी रामनवमी के जुलूस में शामिल लोगों द्वारा हिंसा और तोड़फोड़ की ख़बरें आ रही हैं.

पश्चिम बंगाल के रानीपुर से एक दिल दहलाने वाले खबर और तस्वीर सामने आई है, वहां पर रैली की सुरक्षा के लिए लगाईं गए पुलिस बल पर भीड़ ने जब उत्पात और भड़काऊ नारों से रोकने की कोशिश करते हुए हिंसा को रोकना चाहा तो भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिस के ऊपर बम फेंका गया.

जुलूस में शामिल उपद्रवियों द्वारा फेंके गए इस बम से आसनसोल दुर्गापुर के उपायुक्त, अरिंदम दत्ता चौधरीके  दाहिने हाथ में गंभीर चोटें आई हैं, यह बम उन पर जब पश्चिम बिरद्वान जिले के रानीगंज में फेंका गया था.

सवाल ये उठता है, कि रामनवमी के जुलूस में ये बम आया कहाँ से ? यह सवाल इसलिए भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि बम का पुलिस अधिकारी के ऊपर फेंकना और उसके बाद भी राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप का दौर चलाना, बेहद घटिया राजनीति को प्रदर्शित करता है.

ज्ञात होकि रामनवमी के जुलूसों में भड़काऊ गाने, और नारों की वजह से भी बहुत आलोचना हो रही है. फिर यह तालीबानी कृत्य जिसमें पुलिस अधिकारी के हाँथ मने बम फ़ेंक दिया गया. यह जांच का विषय है.

VHP supporters during a religious procession to celebrate Ram Navami at Bhowanipore area in Kolkata, on March 25, 2018.

इसमें कई तरह के सवाल उठते हैं, जैसे कि क्या पश्चिम बंगाल में राजनीतिक फ़ायदा लेने के लिए इस तरह की हरकतें संघ परिवार और भाजपा से जुड़े लोग कर रहे हैं. दूसरा सवाल ये भी उठता है, कि धार्मिक जुलूस में इस तरह से हथियारों का प्रदर्शन कहाँ तक सहीह है, क्या देश हिन्दुत्व तालीबान की राह पकड़ चुका है ?

ज्ञात होकि पश्चिम बंगाल में संघ के पादाधिकारी इस बात का दावा कर रहे हैं, कि एक व्हीएचपी कार्यकर्ता की मृत्यु हुई है. वहीं पश्चिम बंगाल पुलिस ने अभी तक मौत की पुष्टि नहीं की है.

रानीगंज के मेयर और तृणमूल कांग्रेस के नेता जीतेंद्र तिवारी ने कहा है- कि कुछ लोग अफ़वाह फैलाने का कार्य कर रहे हैं. इसलिए अफवाहों को फैलाने से बचें. लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाह से बचें, प्रशासन अपना काम बेहतर ढंग से कर रहा है.

जुलूस निकाल रहे लोगों के हमले से 5 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हैं, साथ ही पुलिस वाहन को भी भारी क्षति पहुंची है. स्थानीय तृणमूल विधायक अपूर्व सरकार ने कहा कि जुलूस बिना अनुमति के निकाला गया था. कंडी के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी ने भी यही कहा कि जुलूस के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी.

ज्ञात होकि बंगाल में दक्षिणपंथी समूहों के द्वारा लगातार सांप्रदायिक तनाव बनाए रखने की कोशिशें की जा रही हैं.

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