नोटबंदी से आखिर हासिल क्या हुआ ?

08 नवंबर 2016 को नोटबंदी का एलान करते वक़्त बताया गया कि कुल 13.82 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा प्रचलन से बाहर कर दी गई है। थर्ड डिवीज़नर सिविल इंजीनियर अनिल बोकिल और आठवीं पास अर्थशास्त्री बाबा रामदेव की सलाह पर दसवीं पास पीएम ने ज़ोर शोर से दावा किया कि इस से तीन से चार लाख करोड़ रुपये रद्दी हो जाएंगे और काला धन हमेशा के लिए भस्म।

लेकिन 15 दिसंबर तक आरबीआई के पास 12.50 लाख करोड़ रुपये जमा हो चुके थे। इसके बाद अचानक बयान आया कि कुल 15.84 लाख करोड़ में से क़रीब अस्सी फीसदी नोट वापस आ गए हैं। यानि रातों रात तीन लाख करोड़ रुपये अर्थव्यवस्था के सिर पर पटक़ दिए गए। मगर बैंक मे नोट वापस करने वालो की लाइन ख़त्म नहीं हुई।

30 दिसंबर 2016 तक पुनर्निर्धारित सीमा के 97% नोट यानि 15 लाख करोड़ से ज़्यादा आरबीआई में जमा हो चुके थे। इसके बाद आरबीआई ने वापस लौटे नोटों का आंकड़ा देना बंद कर दिया। लेकिन बैकिंग सेक्टर के लोग बताते हैं कि 30 जनवरी तक बैंकों मे जमा नोट 16 लाख करोड़ से ज़्यादा थे।

इसमे नेपाल समेत विदेशो में मौजूद क़रीब डेढ़ लाख करोड़ शामिल नहीं थे। नोट इतने लौटआए कि आरबीआई गिनती भूल गया और आज तक सही सही हिसाब नहीं लगा पाया। मज़े की बात ये है कि इतने पर भी लोगों के पास से भारी संख्या मे पुराने नोट अभी भी पकड़े जा रहे हैं। ये सीधा सीधा चौबे जी के छब्बे बनने के फेर में दुबे बनने का मामला नहीं है।

नोटबंदी से जीडीपी, असंगठित क्षेत्र, कृषि और कारोबार को क़रीब 6 लाख करोड़ का नुक़सान अपनी जगह है मगर ये जो 6-7 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट देश के गले डाले गए हैं ये किसके हैं? बैंक मान रहे हैं कि जल्दबाज़ी मे कई जगह नक़ली और 2010 के पहले के बंद कर दिए गए नोट भी ग़लती से जमा हो गए।

कई प्राईवेट बैंकों ने जमकर धांधली की। लेकिन धांधली के खेल मे जिन सार्वजनिक बैंकों का नाम सबसे ऊपर है उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक हैं। याद कीजिए नोटबंदी से पहले सरकार ने भारत के इतिहास में पहली बार दो सरकारी बैंक के सीईओ निजी क्षेत्र से लाकर बैठाए थे। इनमें एक साहेब के क़रीबी, सिटी बैंक मे घोटाले में नामज़द और सस्ते घर वाली कंपनी वीबीएचएस होम्स के प्रवर्तक पीएस जयकुमार हैं और दूसरे लक्ष्मी विलास बैंक के पूर्व सीईओ राकेश शर्मा।

बहरहाल नोटबंदी के दौरान कौन सी पार्टी के कार्यकर्ता पकड़े गए, किस पार्टी ने नोट बदले और किसे फायदा हुआ और तमाम नुक़सान एक अलग कहानी है। लेकिन देश को 6-7 लाख करोड़ रुपये का नक़द चूना लगाया जया ये घोटाले की महागाथा है। ये पैसे किसे मिले? किसने इतने सारे नक़ली नोट बैंकों के मत्थे मढ़े, पता कीजिए। इतने पैसो में 15 लाख न सही कुछ न कुछ तो आप सबके खाते में आ ही जाएगा।

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